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digital house arrest : 53 घंटे तक घर में ही कैद करके रखे गए दंपति जाने क्या है मामला

जानकर आप भी हो जाएंगे इस मामले को हैरान

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आर्थिक राजधानी इंदौर में साइबर ठगी का नया तरीका डॉक्टर दंपति को 53 घंटे रखा (digital house arrest) डिजिटल हाऊस अरेस्ट

 

आजकल जैसे-जैसे आधुनिकता बढ़ी है. हर क्षेत्र में आधुनिक तकनीक आई है. जिससे लोगों को बहुत सहूलियत भी हुई है. तो वहीं अपराधियों को भी इस तकनीक से अपराधों को अंजाम देने में फ़ायदा हुआ है. अब अपराधी कहीं दूर बैठे भी किसी को अपना शिकार बना लेते हैं. जिन लोगों को ऑनलाइन हो रहे हैं फ्रॉड के बारे में कम जानकारी है. उन लोगों को साइबर अपराधी अपने चंगुल में फंसा लेते हैं और मोटी रकम ऐंठ लेते हैं।

आर्थिक राजधानी इंदौर क्राइम ब्रांच के पास राऊ इलाके में रहने वाले डॉक्टर दंपति ने शिकायत दर्ज कराई है। जहां सीबीआई मुंबई से 53 घंटे तक स्काइप आईडी से कॉल कर वीडियो कॉलिंग पर बात की और डिजिटल हाउस अरेस्टिंग में रखा गया.. और 8 लाख 50 हजार का ट्रांजैक्शन कर ठगी को अंजाम दिया

ये है पूरा मामला डॉ दंपति कैसे हुई ठगी का शिकार

दरअसल इंदौर क्राइम ब्रांच में डिजिटल हाउस अरेस्टिंग ठगी का एक मामला सामने आया है जहां राऊ इलाके में रहने वाले एक दंपति डॉक्टर को रविवार 07 अप्रैल दोपहर पर एक मुंबई के नंबर से कॉल आया था जहां डाक्टर दंपति को बताया कि थाईलैंड में फाइनेंस इंटरनेशनल करियर सर्विस जो पार्सल आपके द्वारा भेजा गया था उसमें एमडीएम ड्रग्स मौजूद है और कई महत्वपूर्ण दस्तावेज भी मिले हैं जिसमें ह्यूमन ट्रैफिकिंग छोटे बच्चों के ऑर्गन तस्करी जैसे गंभीर अपराधों में आपको फसाया जा रहा है आपको सीबीआई मुंबई ऑफिस आना होगा।

दो दंपति ने आने से मना करने पर आपको वीडियो कॉल पर आपके बयान दर्ज किए जाएंगे जिसमें सीबीआई मुंबई से आपके पास वीडियो कॉल आ रहा है इसके बाद डॉक्टर दंपति को स्काइप आईडी से एक वीडियो कॉल आया जहां पर वर्दी में मौजूद एक सीबीआई ऑफिसर और अन्य ऑफिसर वीडियो कॉल पर दिख रहे थे उनके द्वारा 53 घंटे तक डिजिटल हाउस अरेस्ट रखकर डॉक्टर दंपति को अलग-अलग गंभीर धाराओं में फसाने को लेकर डराया गया वहीं कई टैक्स और चार्ज के नाम पर पैसों की मांग की गई।

इसके बाद साइबर ठाकुर द्वारा यही नहीं रुक आरबीआई में भी इन्वेस्टिगेशन के नाम पर एक अलग से वीडियो कॉल आया घबराए डॉक्टर दंपति ने 8 लाख 50 हजार रुपए साइबर ठगो के खातों में ट्रांसफर कर दिए.. साइबर ठगो द्वारा डॉक्टर दंपति से और पैसों की मांग की गई थी.. डॉक्टर दंपति ने आखिरकार जब अन्य अपने मित्रों से जानकारी ली तो पता चला इस तरह की ठगी का शिकार बनाया जा रहा है। इसके बाद डॉक्टर दंपति ने पुलिस को पूरी घटना की जानकारी दी..

राजेश दंडोतिया एडिशनल डीसीपी इंदौर मध्यप्रदेश

क्या है (digital arret)

कानूनी तौर पर डिजिटल अरेस्ट नाम का कोई शब्द एक्जिस्ट नहीं करता. यह एक फ्रॉड करने का तरीका है. जो साइबर ठग अपनाते हैं. इसका सीधा मतलब होता है ब्लैकमेलिंग से यानी इसके जरिए ठग अपने टारगेट को ब्लैकमेल करता है. डिजिटल अरेस्ट में कोई आपको वीडियो कॉलिंग के जरिए घर में बंधक बना लेता है.

वह आप पर हर वक्त नजर रख रहा होता है. डिजिटल अरेस्ट के मामलों में ठग कोई सरकारी एजेंसी के अफसर या पुलिस अफसर बनाकर आपको वीडियो कॉल करते हैं. वह आपको कहते हैं कि आपका आधार कार्ड सिम कार्ड या बैंक अकाउंट का इस्तेमाल किसी गैरकानूनी गतिविधि के लिए हुआ वह फर्जी आपको गिरफ्तारी का डर दिखाकर आपको आपके घर में ही कैद कर देते हैं.

तभी अपने वीडियो कॉल के बैकग्राउंड को किसी पुलिस cbi की तरह बना लेते हैं. जिसे देखने वाला व्यक्ति डर जाता है और उनकी बातों में आ जाता है. इसके बाद वह झूठे आरोप लगाते हैं और जमानत की बातें कह कर पैसे ऐंठ लेते हैं. अपराधी इस दौरान आपको वीडियो कॉल से हटने भी नहीं देते हैं और ना ही किसी को कॉल करने देते हैं. डिजिटल अरेस्ट के इस तरह के कई मामले सामने आ चुके हैं.

पुलिस की गिरफ्त से क्यों दूर हैं साइबर ठग

हम तो पर हजारों किलोमीटर दूर बैठकर साइबर ठग आपको अपना शिकार बना लेते हैं स्काइप आईडी वीचैट और उन वीडियो कॉलिंग से आपसे संपर्क करते हैं ऐसे में पुलिस को 3 से 6 महीने आरोपियों का डाटा यूआरएल जानकारी लेने के लिए समय लग जाता है अधिकतर एप्लीकेशंस के सर्वर विदेश में है जहां से जानकारी दुकानें में पुलिस को कड़ी मशक्कत करना पड़ती है और कई महीनो तक जानकारी नहीं मिल पाती.

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