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किसान को चढा अजीब शौक, लाख रूपए का लाया भैंसा नाम रखा शेर ए हिंद

रोजाना 20 लीटर दूध काजू बादाम और अंजीर की खुराक लगती है 

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किसान को चढा अजीब शौक, लाख रूपए का लाया भैंसा नाम रखा शेर ए हिंद

 

महाराष्ट्र मप्र सीमा पर स्थित पश्चिम मप्र के बुरहानपुर जिले में भैंसो की लडाई काफी मशहुर है जिले के बाडा जैनाबाद के एक किसान ने एक ऐसे ही अनूठे भैंसे को खऱीदा है भैंसे की कीमत और खुराक और हर महीने का खर्च सुनकर आपके होश उड जाएंगे इस किसान ने अपने इस भैंसे का नाम रखा है शेर ए हिंद।

जिले के बाडा जैनाबाद गांव के बाबु सेठ नामक किसान को लडाकू भैंसा खऱीदने का शौक है। उनका शौक इतना सिर चढ कर बोला की उन्होने 3 लाख 11 हजार रूपए कीमत एक बाहुबली भैंसा खरीदा। अब किसान बाबु सेठ इस भैंसे को अंचल में होने वाली भैंसा लडाई में उतारकर अपना नाम कमाएंगा। किसान ने अपने इस नए भैंसे का नाम शेर ए हिंद रखा है यह भैंसा आम भैंसो जैसा नहीं है इसे रोजाना 20 लीटर दूध काजू बादाम और अंजीर की खुराक लगती है।

 

शेर ए हिंद भैसे की बात की जाए तो यह अबतक 22 मैदानी लडाई जीत चुका है और कई खिताब अपने नाम किए हुए है। सनद रहे बुरहानपुर जिले में जिस किसान के पास लडाकू भैंसा होता है उसकी गिनती नामचीन व्यक्तियों में गिनी जाती है। वैसे हर साल होने वाली अंचल में भैंसा लडाई में कोई विशेष कमाई नहीं होती है। लेकिन जिस मालिक का भैंसा लडाई में जीत जाता है तो उसकी अंचल में काफी प्रसंशा होती है। इसी प्रसिध्दी के लिए किसान बाबु सेठ ने लडाकू भैंसा खऱीदा जिसकी खुराक पर 50 हजार रूपए महीने खर्च होगे

 

बुरहानपुर जिला भैंसों की टक्कर के लिए काफी फेमस है. जिले के शाहपुर नगर में दिवाली के दूसरे दिन भैंसों की टक्कर का मुकाबला किया जाता है. अमरावती नदी घाट पर मेला लगता है जिसमें लाखों की तादात में मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र के लोग आते हैं और भैंसों की लड़ाई और मुकाबले का लुफ्त उठाते है. हेला मेला समिति देर तक मुकाबला करने वाले विजेता मालिकों को सम्मानित भी करती है.

 

मप्र में बुरहानपुर जिला भैंसो की लडाई जिसे स्थानीय भाषा में पाडा टक्कर कहा जाता है प्रसिध्द है जिले की नगर परिषद शाहपुर में दिपावली के दूसरे दिन अमरावती नदी पर विशाल पाडा टक्कर यानी भैंसा लडाई के लिए मेले का आयोजन होता है जिसमें हजारों की संख्या में मप्र महाराष्ट्र के भैंसा लडाई पाडा टक्कर देखने के शौकिन एकत्र होते है मेला समिति व्दारा विजयी होने वाले पाडे भैसों के मालिकों को सम्मानित करते है जनप्रतिनिधी भी इस मेले में शामिल होते है

शाहपुर के मेले के बाद से ही जिले के ग्रामीण अंचलों में अलग-अलग त्योहारों में भैंसों की टक्कर के मेले लगते हैं. फोपनार, संग्रामपुर, बोदरली , शेलगांव, निंबोला, सीतापुर, बुरहानपुर, जैनाबाद, नेपानगर, खकनार क्षेत्र में भैंसों की टक्कर कराई जाती है.

बुरहानपुर जिले के किसान भैंसों का पालन पोषण परिवार के सदस्य की तरह करते हैं. भले ही खेती किसानी में इनका उपयोग नहीं किया जाता. बावजूद किसान इस पशु के खान पान पर लाखों रुपए खर्च कर इनकी सेवा करते हैं. यह इसलिए नहीं कि भैंसा किसान को कुछ कमाकर देता है बल्कि भैंसा मैदानी मुकाबले में अपना दमखम दिखाकर किसान के मान सम्मान को बढ़ाता है.

 

किसान को इस बात की परवाह नहीं होती कि भैंसा हारेंगा या जितेंगा या इनाम जीतकर देगा, बल्कि वह अपने भैंसे को मैदान में उतारकर अपने नाम और प्रतिष्ठा की चाहत रखता है. जितना जीते हुए लड़ाकू भैंसे से मालिक को मान सम्मान मिलता है। उतना ही हारे हुए लड़ाकू भैंसे के शानदार प्रदर्शन पर भी मालिक मान प्रतिष्ठा का हकदार बनता है।

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