आर्थिक अपराधों की जांच में पदस्थ सशस्त्र बल के अफसरों की भूमिका पर सवाल
SAF में 'अनुसंधान' नहीं, फिर भी लोकायुक्त-EOW-CBI में डेप्युटेशन
लोकायुक्त रीवा में पदस्थ एसएएफ के एक अफसर की लोकायुक्त से लेकर डीजीपी, लोकायुक्त डीजी, एसीएस होम तक शिकायत हुई है। नर्सिंग कॉलेज फर्जीवाड़े में आरोपी बने ऋषिकांत असाठे भी एसएएफ के अफसर नर्सिंग हैं। उन पर आरोप है कि उन्होंने भो सीबीआई के अफसर राहुल राज के साथ मिलकर इस फर्जीवाड़े को अंजाम दिया है। इसके बाद ही उन्हें आरोपी बनाया गया है। इसी तरह एसएएफ के रीवा लोकायुक्त में पदस्थ प्रवीण सिंह परिहार के खिलाफ भी
लोकायुक्त, डीजीपी सुधीर कुमार सक्सेना, डीजी लोकायुक्त योगेश चौधरी सहित एसीएस होम के यहां पर शिकायत हुई है कि उन्होंने एक मामले में गोविंदगढ़ के तत्कालीन थाना प्रभारी वीरेंद्र सिंह परिहार को षडयंत्र पूर्वक फंसाया है। इस कॉलेज घोटाला मामले में अब जल्द ही चालान पेश होना है। इससे पूर्व भी एसएएफ के कई अफसरों पर लोकायुक्त, ईओडब्ल्यू और सायबर सेल में पदस्थ रहने के दौरान आरोप लगते रहे हैं।
नर्सिंग कॉलेज घोटाले की जांच न्यायालय की निगरानी में कराई जाएः कमलनाथ
इधर, नर्सिंग कॉलेज घोटाले के मामले को लेकर विरोध हो रहा है। पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने सोशल मीडिया पर लिखा कि मप्र का नर्सिंग कॉलेज घोटाला भ्रष्टाचार के सारे रिकार्ड तोड़ रहा है। यह साफ तौर पर दिख रहा है कि राज्य और केंद्र की जांच एजेंसियों ने जांच के नाम पर जमकर भ्रष्टाचार किया। उन्होंने आशंका जताते हुए लिखा कि इससे यह पता चलता है कि प्रदेश में व्यापमं घोटाले में कैसे लीपापोती की गई होगी? पटवारी भर्ती घोटाले में कैसे क्लीन चिट मिली होगी? महाकाल लोक घोटाले में कैसे गुनहगारों को बचाया होगा। जांच में इस तरह का भ्रष्टाचार बिना ऊपर के संरक्षण के नहीं हो सकता। नर्सिंग घोटाले की सच्चाई तभी सही मायने में सामने आएगी जब उच्च न्यायालय की निगरानी में इस मामले की जांच कराई जाए।
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जांच की भी जांच करवाएं: अरूण यादव
पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अरूण यादव ने सोशल मीडिया पर लिखा कि नर्सिंग घोटाले में हाईकोर्ट के निर्देश के बाद हुई सीबीआई जांच की तस्वीर सामने आने के बाद स्पष्ट हो गया है कि व्यापमं महाघोटाले की जांच किस तरह हुई होगी। कालेधन का टेंपो कहां पहुंच गया होगा। हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस को संज्ञान लेकर नर्सिंग और व्यापमं घोटालों की जांच की जांच करवाएं।
मूल काम छोड़ आर्थिक अपराध पर नकेल कसने वाली विंग में जा रहे
डीएसपी के पद पर पदस्थ सहायक सेनानी राजेश खेड़े ने सागर के कोर्ट को एक मामले में बताया था कि वे प्लाटून कमांडर के पद पर भर्ती हुए थे, एसएएफ में अनुसंधान संबंधित कोई कार्य नहीं होता है। सशस्त्र बल का काम कानून व्यवस्था और सुरक्षा व्यवस्था में होता है। उन्होंने विवेचना संबंधी ट्रेनिंग लोकायुक्त कार्यालय भोपाल से प्राप्त की। उनके इस बयान से यह साफ हो जाता है कि एसएएफ के अफसर को अनुसंधान संबंधी ट्रेनिंग आदि नहीं दी जाती है। इसके बाद भी यहां के अफसर अपने मूल काम को छोड़कर आर्थिक अपराधों पर नकेल कसने वाली विंग में जा रहे हैं।