संवाददाता अविनय शुक्ला
वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं प्रमुख डाॅ अलका सिंह के मार्गदर्शन में कृषि विज्ञान केन्द्र सीधी में एक पेड़ माॅ के नाम कार्यक्रम आयोजित किया गया। उक्त कार्यक्रम में जिला कार्यक्रम अधिकारी आर.सी. त्रिपाठी महिला एवं बाल विकास विभाग, केन्द्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं प्रमुख डाॅ अलका सिंह, उद्यान वैज्ञानिक डाॅ एस.एस. गौतम, कार्यक्रम सहायक श्रीमती अमृता तिवारी, महिला एवं बाल विकास सीधी से परियोजना अधिकारी एवं सुपरवाइजर उपस्थित हुये।
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उल्लेखनीय है कि देश के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने 5 जून 2024 को विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर वैश्विक अभियान एक पेड़ माँ के नाम का शुभारंभ किया। वैश्विक अभियान के भाग के रूप में पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने जानकारी दी कि सितंबर 2024 तक देश भर में 80 करोड़ पौधे लगाने और मार्च 2025 तक 140 करोड़ पौधे लगाने के प्रयास किए जा रहे हैं। पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने 20 जून 2024 को असोला भाटी वन्यजीव अभयारण्य में वृक्षारोपण कार्य शुरू किया जिसमें लोगों ने अपनी माताओं के सम्मान में पेड़ लगाए।
अभियान के एक भाग के रूप में, कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय 29 अगस्त 2024 को कृषि मंत्री भारत सरकार की गरिमामयी उपस्थिति में एक पेड़ माॅ के नाम अभियान का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम के अंतर्गत, मंत्रालय आई.ए.आर.आई. परिसर में लगभग 1 एकड़ भूमि में ‘‘मातृ वन‘‘ स्थापित करेगा। अभियान के तहत कृषि मंत्री और मंत्रालय के अधिकारी/कर्मचारी द्वारा पौधे लगाए जाएंगे। मातृ वन में लगभग 300 पौधे लगाए गए। साथ ही देश भर में कृषि एवं किसान कल्याण विभाग आई.सी.ए.आर. संस्थानों, एसएयू, सीएयू और के.वी.के.एस. के सभी अधीनस्थ कार्यालयों को अपने-अपने परिसर में पौधे लगाने की व्यवस्था करके कार्यक्रम में भाग लेने के लिए निर्देशित किया गया है।
एक पेड़ माँ के नाम अभियान एक जन आंदोलन है और लोग पेड़ लगाकर अपनी माँ और धरती माँ के प्रति सम्मान व्यक्त करते हुए इसमें भाग ले रहे हैं। पेड़ लगाने से सरकार द्वारा शुरू किए गए मिशन लाइफ जो पर्यावरण के प्रति जागरूक जीवन शैली का एक जन आंदोलन है, के उद्देश्य की पूर्ति भी होती है। कृषि में, पेड़ लगाना टिकाऊ खेती को प्राप्त करने के लक्ष्य के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। पेड़ मिट्टी, पानी की गुणवत्ता में सुधार करके और जैव विविधता को बढ़ाकर कृषि उत्पादकता में सुधार करने में मदद करते हैं। पेड़ किसानों को लकड़ी और गैर-लकड़ी उत्पादों से अतिरिक्त आय का स्रोत भी प्रदान करते हैं। इस अभियान में भूमि क्षरण और मरुस्थलीकरण को रोकने और भूमि को हरा-भरा करने की अपार क्षमता है।