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करोड़ों के घोटालेवाजो पर नहीं आई कार्यवाही की आंच

कागजों में दफन हो गया शिक्षा विभाग का मामला सीधी डीईओ ने भी जमकर छानी थी मलाई

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जिले का शिक्षा विभाग इन दिनो घोटालेवाजों के चक्कर में पिस रहा है। यहां के वर्तमान डीईओ द्वारा पूर्व में जिला परियोजना समन्वयक रीवा रहने के दौरान करोड़ों रूपये का भ्रष्टाचार किया गया था। जिनका भ्रष्टाचार उजागर होने पर मामला दर्ज करने के निर्देश संचालनालय भोपाल द्वारा दिये गए थे लेकिन आज दिनांक तक कार्रवाई की आंच नही आ सकी है।

 

बताया गया कि अनुदान प्राप्त विद्यालयों के शिक्षकों के वेतन एवं एरियर्स राशि के 70.67 लाख कपटपूर्ण आहरण एवं अन्य वित्तीय अनियमितता के मामले को संज्ञान लेते हुए संचालनालय भोपाल द्वारा विधिवत जांच-परीक्षण कर वस्तुस्थिति से कार्यालय प्रधान महालेखाकार, मप्र ग्यालियर कोअवगत कराने के निर्देश दिये गये थे जिसके परिपालन में कलेक्टर जिला रीवा द्वारा पांच सदस्यीय जांच समिति गठित कर जिला कोषालय अधिकारी रीवा की अध्यक्षता में प्रकरण की जांच कराई गई।

 

दोनो जांच प्रतिवेदन के निष्कर्ष अनुसार अनुदान मद अंतर्गत कर्मचारियों के डुप्लीकेट बिलों को तैयार करअन्यत्र व्यक्तियों के बैंक खाता में भुगतान, देयकों के आहरण में कार्यालय के प्रत्येक स्तर के अधिकारी, कर्मचारियों द्वारा सुसंगत नियमों का पालन नहीं किया गया है एवं लापरवाही-जानबूझकर कपटपूर्ण आहरण एवं सेवानिवृत्त अनुदानित कर्मचारियों को क्रमोन्नति, एरियर्स का दोहरा अधिकभुगतान करना तथा भण्डार क्रय सामग्री में कपटपूर्ण आहरण कर, गंभीर वित्तीय अनियमितता किया जाना पाया गया था जिसके लिए 18 अधिकारी-कर्मचारी दोषी पाये गए थे जिनमें सीधी डीईओ डॉ प्रेमलाल मिश्रा (तत्कालीन जिला परियोजना समन्वयक रीवा) एवं मुन्ना लाल वर्मा वरिष्ठ लेखा परीक्षक कार्यालय जिला शिक्षा

 

अधिकारी को भी दोषी पाया गया था। जिस पर दोषी अधिकारी. कर्मचारियों के विरूद्ध 420,409, 120बी के तहत अपराध दर्ज कर एफआईआर की कॉपी संचालनालय यथाशीघ्र उपलब्ध कराने के निर्देश दिये गये थे लेकिन आज दिनांक तक किसी भी प्रकार की कार्रवाई नही हो पाई है।

 

 

करोड़ों का खेला था खेल जांच में दोषी पाये गए अधिकारी-कर्मचारियों द्वारा अनुदान मद अंतर्गत कर्मचारियों के डुप्लीकेट बिलों को तैयार कर अन्यत्र व्यक्तियों के बैंक खातों एवं एवं सेवानिवृत्त अनुदानित कर्मचारियों को कमोन्नति एरियर्स का दोहरा एवं अधिक भुगतान हेतु कुल राशि रूपये 2 करोड़ 51 लाख 60 हजार 437 रूपये तथा भण्डार कम सामग्री में आहरण हेतु राशि रूपये 2 करोड़ 58 लाख 78 हजार 761 रूपये का कपटपूर्ण आहरण कर गंभीर वित्तीय अनियमितता के साथ-साथ राज्य शासन को वित्तीय हानि पहुंचाई गई थी।

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