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झोलाछाप डॉक्टरों पर प्रशासन का अंकुश नहीं

पहले भी कई शिकायतें आ चुकी हैं सामने, ग्रामीण अंचलों में हैं अधिक झोलाछाप

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संवाददाता अविनय शुक्ला

 

मौसम के बदलाव के साथ वायरल बुखार व अन्य बीमारियों के मरीजों की संख्या बढ़ रही है। ऐसे में सीधी जिले में झोलाछाप डॉक्टर की सक्रियता बढ़ने लगी है। मरीजों की जान पर मंडराते खतरे के बावजूद स्वास्थ्य विभाग इन डॉक्टरों पर किसी तरह की कार्रवाई नहीं कर रहा है जिसके कारण इन कथित डॉक्टरों के हौसले बुलंद हैं। वहीं फिर से कोरोना की आहट के चलते इस तरह के नीम हकीमों पर रोक की काफी जरूरत है। कोरोनाकाल के दौरान ग्रामीण क्षेत्र में कोरोना के बजाए मलेरिया और टाइफाइड का उपचार किया गया था। जांच केन्द्रों की भी हो जांचः जिले के अलावा तहसील मुख्यालयों में अनेक पैथालॉजी लैब संचालित हैं। संचालक अपने घरों से ही इनका संचालन कर रहे हैं। इन लैबों की जांच किए जाने की अपेक्षा स्थानीय

 

लोगों ने की है। जिले में अनेक झोलाछाप डाक्टर सक्रियः जिले के ग्रामीण क्षेत्र में बहुतायत में झोलाछाप डॉक्टर सक्रिय हैं। इन डॉक्टरों पर लंबे अर्से से किसी तरह की कार्रवाई नहीं हुई है जिसके कारण इन डॉक्टरों के हौसले बुलंद हैं। इन डॉक्टरों ने लंबे समय से क्षेत्र में दुकानदारी चला रखी है। वे मरीजों को सस्ती दवाई देकर मंहगे दामवसूल रहे है। कई झोलाछाप डॉक्टरों ने बकायदा बोर्ड लगाकर दवाखाना चालू कर रखा है। रामपुर नैकिन, सेमरिया, चुरहट, मझौली, कुसमी, बहरी, कुबरी, पटपरा, अमिलिया, सिहावल, कुचवाही, मयापुर सहित आसपास के ग्रामीण क्षेत्र में दिनों दिनों झोलाछाप डॉक्टरों की सक्रियता बढ़ती जा रही है और जिले का जिम्मेदार स्वास्थ्य अमला एंव जिले के आला अधिकारी कार्रवाई करने के बजाए हाथ पर हाथ धरे बैठा हुआ है। जिले में लगभग हर गांव में झोलाछाप डॉक्टर है, जिनके पास किसी भी प्रकार की डिग्री नहीं है। इसके बावजूद वे बड़ी बड़ी बीमारियों के इलाज कर रहे हैं। यही स्थिति जिले के दूसरे स्थानों में भी है।

 

जगह-जगह खुलीं हैं डिस्पेंसरीः ऐसे डॉक्टरों पर लगाम नही लगने के कारण उनके हौसले बुलंद है। शहरों और गांवों के प्रमुख स्थानों में इन झोलाछाप डॉक्टरों की दुकानें संचालित है और संबंधित विभाग अब तक इन पर शिकंजा नहीं करा सका है। दूसरे राज्यों की चुंबकीय पद्धति, एक्यूप्रेसर और न जाने कौन कौन सी डिग्रियां लाकर ये डॉक्टर धड़ल्ले से एलोपैथिक इलाज कर रहे हैं। जिसके कारण मरीजों की जान पर हर समय खतरा मंडराता रहता है।

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