संवाददाता अविनय शुक्ला
रीवा-शहडोल मार्ग में भरतपुर के पास पुल निर्माण किया गया था। पुराने पुल को खोदकर उसका मलबा नदी में डाल दिया गया था। सड़क निर्माण कर रही गाबर कांट्रेक्शन कंपनी के द्वारा उक्त मलबे को कई बार नदी से निकालने का प्प्रयास किया गया किंतु पुल के पास निवासरत गुड्डू सिंह द्वारा नदी से मलबा नहीं निकालने दिया गया था। कंपनी के द्वारा उक्त मलबे को रोलर से दबाकर उसमें डायवर्सन बना दिया गया था। समय रहते कंपनी ने मलबा हटाने के मामले को गंभीरता से नहीं लिया। अब स्थिति यह है कि वर्षा के चलते मलबा वाले स्थान पर कोई मशीनरी नहीं पहुंच सकती। जिससे मलबे को हटाया जा सके। अब सिर्फ श्रमिकों से ही मलबा को हटवाया जा सकता है। बताया गया है कि ग्रामीण जनों की शिकायत से चौकी प्रभारी स्थल निरीक्षण कर संबंधित ठेकेदार को नदी से मलबानिकालने के लिए कहा था लेकिन कंपनी के अधिकारियों-कर्मचारियों ने मामले को गंभीरता ने नहीं लिया जिसके कारण आज नौनिहालों को पुल के ऊपर चल रहे पानी को पार कर स्कूल जाना पड़ रहा है। नदी में इतना मलाबा पड़ा हुआ है कि नदी का बहाव पूरी तरह रुक गया है। नदी का बहाव रुकने के कारण भरतपुर पिपरांव मार्ग में बने पुल के ऊपर
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वर्षा का पानी कई सप्ताहों से चल रहा है। पुल के ऊपर पानी होने के बाद भी ग्राम भरतपुर, सगौनी, भैंसरहा, अमिलई, कपुरी कोठार, रैदुअरिया, बुढ़गौना, गड़हरा आदि के लगभग 700 छात्र प्रतिदिन जान हथेली में रखकर पुल पार कर सरदार पटेल एवं जय ज्योति स्कूल पिपरांव जाते हैं। इन सबके बाद भी स्थानीय प्रशासन इस ओर कोईध्यान नहीं दे रहा है। स्कूल जाने के लिए ऑटो, वैन, मोटर सायकल, सायकल एवं पैदल छात्र पुल को पार करते हैं। तेज बहाव के चलते कभी भी बड़ी घटना घट सकती है और बच्चे स्कूल जाने की बजाय पानी में तैरते नजर आ सकते हैं। यदि नदी के मलबे को हटा दिया जाए तो नदी का बहाव खुल जाएगा जिसके कारण पिपरांव पुल के
ऊपर पानी नहीं चलेगा। अभिभावकों ने कई बार इस संबंध में सीएम हेल्पलाईन एवं अन्य संसाधनों के माध्यम से स्थानीय प्रशासन को अवगत करानें का प्रयास किया किंतु स्थाानीय प्रशासन के द्वारा इस ओर कोई कदम नहीं उठाया गया। ग्रामीण जनों ने कलेक्टर से मढ़ावल नदी के मलबे को साफ कराने की मांग किए हैं।