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अमानक पालीथीन की जिले में नहीं थम रहीं बिक्री, प्रतिबंध बेअसर

पालीथीन पर रोक लगाने में नगर पालिका प्रशासन नाकाम

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पर्यावरण व जीव जंतुओं को नुकसान पहुंचाने वाली अमानक पॉलीथिन बैन हो चुकी है। आदेश का पालन कराने प्रशासन को भी लिखित पत्र भी जारी हो चुके हैं। इसके बावजूद अब तक न तो प्रशासन प्रतिबंधित पॉलीथिन का उपयोग बंद कर पाया है और न ही बाहर से आने वाली पॉलीथिन की रोक पाया है।

जिले भर से लाखों टन कचरे के रूप में पॉलीथिन मिल रही है। जिसका संपूर्ण रूप से उठाब भी नहीं हो पा रहा है। जिसके चलते यह पॉलीथिन जानवरों के लिए अकाल मौत का कारण बन रही है तो वहीं भूमि की पर्यावरण को भी भारी नुकसान पहुंचा रही है। दूध डेयरी से लेकर सब्जी मंडी, किराना दुकान, फल विक्रेता अमानक पॉलीथिन प्रतिबंध को लेकर बिल्कुल भी गंभीरनजर नहीं आए।

लोगों ने बताया कि जब तक प्रशासन सख्ती से आदेश को अमल नहीं कराएगा तब तक न तो अमानक पॉलीथिन का विक्रय रुकेगा और न ही उपयोग। डेयरीसंचालक व सब्जी फल विक्रेता बेधडक ग्राहकों को पॉलीथिन में सामान देते नजर आए। नगर पालिका द्वारा कुछ अभियान कभी कभार चलाया जाता है। लेकिन यह अभियान दुकानों की संख्या के लिहाज से ऊंट के मुंह में जीरा ही साबित हो रहा है। भारत सरकार के वेस अपशिष्ट निवारण अधिनियम के तहत 40 माइक्रॉन से कम के मानक की पॉलीथिन पर्यावरण को प्रदूषित करती है। जानकारों का

 

कहना है कि इस पॉलीथीन को रिसाइकल नहीं किया जा सकता है। जिससे यह प्रदूषण का कारण बनती है। सबसे ज्यादा नुकसान आवारा मवेशियों को उठाना पड़ता है। नगर में अधिकांश वार्ड ऐसे हैं जहां नपा सफाई अमले द्वारा कचरे का कलेक्शन नियमित रूप से नहीं किया जाता है। वहां वार्डवासी कचरे के साथ पॉलीथिन को जला देते हैं।

प्लास्टिक बेस्ट के जलने से जो गैस निकलती है वह कैंसरजैसी गंभीर बीमारियों के लिए जिम्मेदार है। साल 2011 में केंद्र, राज्य सरकारों ने मिलकर 40 माइक्रॉन से कम मोटाई वाली प्लास्टिक पॉलीथिन के उपयोग पर रोक लगाई थी। इसके बाद कुछ दिनों तक अभियान चलाकर दुकानों से पॉलीथीन जब्त करने की कार्रवाई की गई लेकिन बाद मे इसे बंद कर दिया गया।

साल 2017 में भी 1 मई को फिर मप्र शासन ने पॉलीथिन के उपयोग पर पूरी तरह से रोक लगाने की घोषणा की लेकिन वर्तमान में पॉलीथीन पर रोक लगाए जाने को लेकर कोई मुहिम शुरू होती दिखाई नहीं दे रही है।

वहीं शहर में बिखरे हुए पॉलीथीन एवं दुकानदारों द्वारा दिए जा रहे सामग्री के साथ पालीथीन के जरिए आम जनों को कई बीमारियों का सामना करना पड़ रहा है। वहीं व्यापारी धड़ल्ले के साथ पालीथीन का उपयोग कर रहे हैं। नगर पालिका एवं पर्यावरण का अमला सीधी शहर में ही लंबे अरसे से कोई कार्यवाही पॉलीथीन को लेकर नहीं की गई।

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