एमपी में भाजपा के 29 सीट जीतने के क्या है मायने

जाने क्यों जीत पाई सभी सीटें

एमपी में बीजेपी ने 29 सीटों पर जीत हासिल कर इतिहास रच दिया , ये कैसा हुआ इसकी गहराई में जाकर देखें, नतीजों को देखकर खुद बीजेपी खुद हैरान है, प्रदेश की जनता ने कांग्रेस का सूपड़ा साफ कर दिया तो वहीं देश के जनादेश ने बीजेपी को झटका दे दिया

एमपी में बीजेपी की 29 सीटों पर जीतने की वजह मोदी की गारंटी का कमाल है , भले ही देश में मोदी मैजिक न चल पाया हो लेकिन यहां की जनता ने तो सिर्फ मोदी के चेहरे को देखकर कांग्रेस का पूरी तरह से सफाया कर दिया , बीजेपी का 46 साल का सपना भी पूरा कर दिया और कमलनाथ के गढ़ को भी भेद पाने में बीजेपी का साथ दिया ।

कांग्रेस के कैंडिडेट दमदार , लेकिन फिर भी मिली हार

राजगढ़ ये वो सीट थी जिस पर प्रदेश के पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह यहां से उतरे थे लेकिन वो भी मोदी की आंधी में बह गए , यहां से सांसद प्रत्याशी रोडमल नागर के प्रति बहुत नाराजगी थी लेकिन लोगों ने उनके यहां के राजा दिग्विजय सिंह को नकार कर मोदी को चुना ।ग्वालियर चंबल में 34 विधानसभा सीटों में से कांग्रेस को यहां 16 सीटें मिली थी तो बीजेपी को 18 , यानि लाडली बहना की बंपर वोटिंग के बाद भी कांग्रेस यहां पर मजबूत दिखाई दी थी, और अभी लोकसभा में कांग्रेस ने जिन प्रत्याशियों को ग्वालियर चंबल में उतारा था वे अच्छे प्रत्याशी थे मुरैना में कांग्रेस के नीतू सिकरवार को बीएसपी के प्रत्याशी के चलते हार का सामना करना पड़ा ।

कांग्रेस मान कर चल रही थी कि उसे 3 सीट मिल जायेंगी

वहीं इस बार भी ये अनुमान लगाया जा रहा था की कांग्रेस दो से तीन सीट ले जा सकती है लेकिन यहां पर जनता से कांग्रेस पर बिल्कुल रहम नहीं किया। हालांकि यहां पर मोदी की योजनाएं जिसमें मुफ्त राशन, मुफ्त आयुष्मान हेल्थ कार्ड , किसानों सम्मान निधि और पीएम आवास योजना के तहत आने वाले हितग्राहियों ने मोदी को ही वोट दिया।

एमपी में राम मंदिर और देश भक्ति का रंग लोगों में देखा गया

जो राम को लाए हैं हम उनको लाए हैं , ये स्लोगन भी लोगों के मन में खूब रहा और मोदी को चुनने का कारण ये भी है , वहीं बीजेपी ये बताने में यहां सफल रही कि मोदी ने जो कहा था वो किया सो लोगों ने जी भरकर मोदी को सपोर्ट किया, वहीं वोटों के ध्रुवीकरण में भी बीजेपी सफल रही ।

कांग्रेस अध्यक्ष अपनी टीम को एक नहीं कर सके

कांग्रेस ने कमलनाथ को हटाकर चुनाव के पहले जीतू पटवारी को प्रदेश कांग्रेस की कमान दी, जिसका खामियाजा कांग्रेस को भुगतना पड़ा, जीतू पटवारी का व्यवहार ना कर्मचारियों और ना ही कार्यकर्ताओं को पसंद आया , नेता घर पर बैठ गए और उन्होंने काम नहीं किया बल्कि बेहतर यह समझा कि कांग्रेस का हाथ छोड़कर बीजेपी का दामन थाम ले और कई नेताओं ने यही किया।

बीजेपी का दमदार संगठन जिसने बूथ तक काम किया

बीजेपी ने लोकसभा की तैयारी में काफी मेहनत की उसके बड़े नेताओं ने बूथ स्तर तक के कार्यकर्ताओं को मोटिवेट किया और उनकी बैठके लीं, साथी जब वोटिंग कम हुई और बीजेपी को लगा कि इस चरण में वोटिंग कम हुई है तो सारा संगठन वोट प्रतिशत बढ़ाने में जुट गया ।

वोट प्रतिशत ज्यादा तो बीजेपी को पहुंचा फायदा

मध्य प्रदेश में इस बार 65% से ज्यादा मतदान हुआ, पहले यह माना जाता था कि यदि मतदान ज्यादा हुआ तो जनता नाराज है और वह सत्ता को बदलना चाहती है लेकिन पिछले कुछ सालों में यह ट्रेंड बदला है , और जब वोटिंग ज्यादा होती है तो सत्ता धारी पार्टी को फायदा होता है ।

mp news todayMP politics newsभाजपा को प्रचंड जीतलोकसभा चुनाव
Comments (0)
Add Comment