New Year Update:कांग्रेस ने प्रियंका गांधी से यूपी की कमान वापस क्यों ली और अविनाश पांडे को क्यों दी?- प्रेस रिव्यू

Update:01/01/2024

यूपी : प्रियंका गांधी वाड्रा की कांग्रेस की यूपी प्रभारी के पद से छुट्टी पार्टी की प्रदेश इकाई में कई लोगों के लिए कोई नई बात नहीं है.।

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कांग्रेस ने शनिवार को प्रियंका गांधी की जगह अविनाश पांडे को उत्तर प्रदेश का प्रभारी बनाया. पूर्व राज्यसभा सांसद अविनाश पांडे अभी तक झारखंड के प्रभारी थे.

कांग्रेस पार्टी में हुए इस बड़े संगठनात्मक बदलावों को अंग्रेज़ी अख़बार द इंडियन एक्सप्रेस ने प्रमुखता से जगह दी है.

 

अख़बार लिखता है कि प्रियंका गांधी 2022 में उत्तर प्रदेश चुनावों में कांग्रेस को मिली हार के बाद से ही इस राज्य से दूरी बनाए हुए थीं.।

एक वरिष्ठ कांग्रेस नेता के हवाले से अख़बार लिखता है, “इसमें कुछ भी चौंकाने वाला नहीं है क्योंकि वह (प्रियंका) 2022 विधानसभा चुनावों की हार के बाद से ही यूपी छोड़ चुकी थीं और फिर कभी नहीं लौटीं. हमने पांडे का काम देखा है. हमें अब उनके जैसे नेता की ज़रूरत है.”।

यूपी में पार्टी ने अपना जनाधार खो दिया है क्योंकि हम पिछले कुछ सालों में अपने बड़े-बड़े चेहरों को खोते गए. जो यहां रुके उन्होंने भी रोज़मर्रा के मसलों से दूरी बनाए रखी. हमें उम्मीद है कि पांडे की एंट्री काडर के आत्मविश्वास को बढ़ाएगी.”

पांडे पार्टी के ज़मीनी कार्यकर्ता हैं और उन्होंने कांग्रेस के महासचिव दिग्विजय सिंह के साथ उत्तर प्रदेश में और पार्टी सचिव मधुसूदन मिस्त्री के साथ क़रीबी से काम किया है. पांडे को राहुल गांधी का क़रीबी माना जाता है और उनकी नियुक्ति को भी पार्टी में ‘टीम राहुल’ के कार्यभार संभालने के तौर पर ही देखा जा रहा है, भले ही ये दूर से क्यों न हो।

.इस नियुक्ति से कांग्रेस काडर के लिए संकेत के तौर पर भी देखा जा रहा है. एक ऐसे राज्य में जहां, जाति की राजनीति अहम है, वहां ब्राह्मण समुदाय के पांडे की नियु्क्ति को पार्टी की ‘सोशल इंजीनियरिंग’ की कोशिश के तौर पर देखी जा रही है. प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय राय पूर्वी यूपी से आते हैं और पार्टी का ‘भूमिहार’ चेहरा हैं.

 

पांडे को यूथ कांग्रेस के दिनों से ही उनके संगठनात्मक कौशल के लिए जाना जाता है और पार्टी के अंदरखाने के लोगों का कहना है कि शीर्ष नेतृत्व को ऐसा लगता है कि पांडे राज्य में फिर से संगठन खड़ा करने में मदद कर सकते हैं.

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65 साल के पांडे ने अपना राजनीतिक करियर 1970 के दशक में कांग्रेस की छात्र इकाई एनएसयूआई से किया था. इसके बाद वह धीरे-धीरे पार्टी में बड़े पदों तक पहुंचते रहे.

 

सल 2008 में वह राहुल बजाज से महज़ एक वोट के अंतर से राज्यसभा चुनाव हार गए थे. लेकिन साल 2010 से 2016 तक वह महाराष्ट्र से राज्यसभा सांसद रहे. नागपुर से आने वाले पांडे राजस्थान प्रभारी सहित कांग्रेस संगठन में कई अहम भूमिकाएं निभा चुके हैं.

 

यूपी कांग्रेस के सूत्रों के हवाले से अख़बार लिखता है कि अब समय आ गया है कि कोई राज्य इकाई के कामकाज को संभाले, क्योंकि लोकसभा चुनाव से पहले समाजवादी पार्टी (सपा) के साथ सीट बंटवारे की बातचीत मुश्किल होने वाली है.।

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