राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा समारोह में सोनिया गांधी और कांग्रेस नेता होंगे या नहीं? – प्रेस रिव्यू

Update :01/01/2024

नई दिल्ली : कांग्रेस पार्टी की पूर्व अध्यक्षा सोनिया गांधी के 22 जनवरी को अयोध्या में राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के कार्यक्रम में शामिल होने की ख़बरों के बीच शुक्रवार को कांग्रेस ने कहा कि पार्टी इसका फ़ैसला लेगी और इस बारे में उचित समय पर बताया जाएगा.।

अख़बार द हिंदू में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार सोनिया गांधी के अलावा, कांग्रेस के मौजूदा अध्यक्ष और राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे और लोकसभा में पार्टी के नेता अधीर रंजन चौधरी को भी राम मंदिर उद्घाटन के कार्यक्रम में आमंत्रित किया गया है.

 

पार्टी नेता जयराम रमेश ने कहा, “राम मंदिर के उद्घाटन समारोह में कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी और पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को आमंत्रित किया गया है. इस संबंध में उचित समय पर फ़ैसला लिया जाएगा जिसकी जानकारी उचित समय पर दी जाएगी.”

 

उन्होंने पार्टी के वरिष्ठ नेता सैम पित्रोदा के बयान से दूरी बनाते हुए कहा, “उनका बयान कांग्रेस का आधिकारिक बयान नहीं है. वो पार्टी की ओर से नहीं बोलते हैं.”।

अख़बार लिखता है कि राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के कार्यक्रम का निमंत्रण राजनीतिक तौर पर संवेदनशील मामला बन चुका है और इस पर उच्चतम स्तर पर चर्चा हो रही है.

 

सूत्रों के हवाले से अख़बार लिखता है कि सोनिया और खड़गे को इसका निमंत्रण मिलने के तुरंत बाद इस पर पार्टी का स्टैंड क्या होगा, इसे लेकर आला नेताओं की बैठक हुई है.

जिन नेताओं से परामर्श किया गया उनमें पी चिदम्बरम, अंबिका सोनी, केसी वेणुगोपाल, जयराम रमेश, दिग्विजय सिंह और रणदीप सुरजेवाला शामिल हैं.

 

अख़बार लिखता है कि कुछ दिन पहले दिग्विजय सिंह ने एक समाचार एजेंसी से कहा था “राम मंदिर तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट किसी एक पार्टी का नहीं है. ऐसे में वहां जाने में क्या आपत्ति है? सोनिया जी इसे लेकर सकारात्मक हैं. या तो वो खुद जाएंगी या फिर हमारी तरफ से कोई प्रतिनिधि जाएगा.”

 

हालांकि ये बताया जा रहा है कि मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के लिए आया निमंत्रण पत्र किसी दूसरे को नहीं दिया जा सकता, ऐसे में कांग्रेस के लिए सोनिया गांधी की जगह किसी और को भेजना शायद मुमकिन न हो.।

ख़ैबर पख़्तूनख़्वाह के बुनेर से चुनाव लड़ रही पहली हिंदू महिला

 

25 साल की सवीरा प्रकाश पाकिस्तान के ख़ैबर पख़्तूनख़्वाह के बुनेर ज़िले से चुनाव लड़ने वाली पहली हिंदू महिला बनने वाली हैं.

 

वो पीपल्स पार्टी ऑफ़ पाकिस्तान (पीपीपी) से बतौर उम्मीदवार खड़ी होंगी. पेशे से डॉक्टर सवीरा का मानना है कि अगले साल होने वाले इन चुनावों में उनका धर्म उनके लिए मुश्किल नहीं बनेगा.

 

अख़बार इंडियन एक्सप्रेस में छपी एक ख़बर के अनुसार पीपीपी ने भी उन पर भरोसा जताते हुए उन्हें धार्मिक अल्पसंख्यकों के लिए आरक्षित सीट की बजाय जनरल सीट से टिकट दी है.

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सवीरा प्रकाश ने अख़बार को बताया कि, “न केवल बुनेर से बल्कि सामान्य सीट से चुनाव लड़ने वाली मैं शायद पहली अल्पसंख्यक महिला उम्मीदवार हूं. जिस दिन से मैंने नामांकन दाखिल किया है उस दिन से मैं ये कह रही हूं और गर्व महसूस कर रही हूं. लोगों से मुझे काफी प्यार मिल रहा है, उन्होंने मुझे ‘बुनेर की बेटी’ नाम तक दे दिया है.”

 

“लोग मुझे एक हिंदू महिला के रूप में नहीं, बल्कि यहां के पश्तून समुदाय के लोग पश्तून (यहां के मूल निवासी) के रूप में पहचान रहे हैं.”

 

सवीरा भारत और पाकिस्तान के लोगों के बीत मज़बूत आपसी संबंधों की समर्थक हैं. वो कहती हैं कि “धर्म के नाम पर लोगों को बांटना पुरानी बात हो गई है, हमें इन सबसे आगे बढ़ना होगा.”

 

अख़बार लिखता है कि पाकिस्तान के इस प्रांत खै़बर पख़्तूनख़्वाह की सीमा अफ़ग़ानिस्तान से मिलती है. यहां की अल्पसंख्यक समुदायों की महिलाओं के लिए चुनावी राजनीति में आना बेहद मुश्किल है. हाल के दिनों में यहां पाकिस्तानी सुरक्षाबलों और तालिबान के लड़ाकों के बीच झड़पें देखी गई हैं.

 

खै़बर पख़्तूनख़्वाह में बहुसंख्यक आबादी पश्तूनों की है, जबकि मात्र एक फ़ीसदी ही हिंदू हैं. पूरे पाकिस्तान की बात करें तो 2017 में की गई जनगणना के अनुसार पूरे देश में 44 लाख हिंदू हैं जो आबादी का कुल 2.15 फ़ीसदी है.

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सवीरा प्रकाश के पिता ओम प्रकाश पीपीपी के सदस्य हैं. वो बुनेर में एक क्लिनिक चलाते हैं.

 

पाकिस्तान में अगले साल आठ फरवरी को राष्ट्रीय और प्रांतीय चुनाव हैं. सवीरा बुरेन की पीके-25 सीट से उम्मीदवार हैं.।

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