एक ऐसी मिठाई की परंपरा जो 5000 साल से आ रही है लगातार चली

दरावा मिठाई के नाम से जानती है इस दुनिया

एक ऐसी मिठाई की परंपरा जो 5000 साल से आ रही है लगातार चली

मध्य प्रदेश का मुगलकालीन शहर बुरहानपुर खास जायकेदार खानपान के लिए भी जाना जाता है, यहां पर विशेष प्रकार की मिठाइयां बनती हैं, जो न केवल स्थानीय लोगों की पसंद है बल्कि देश-विदेश में काफी पसंद की जाती हैं

बुरहानपुर में एक ऐसी मिठाई तैयार की जाती है, जिसको बनाने में हलवाई को 36 से 48 घंटे लगते हैं। इसे स्थानीय भाषा में दराबा के नाम से पहचानते है। इस दराबे की खास बात यह है कि इसे 3 महीने तक खराब स्टोर किया जा सकता है।

ये 3 महीनों तक खराब नहीं होती है, इसे देसी घी, शक्कर, रवा मिलाकर बनाते हैं, दराबा लचीला और स्वादिष्ट बनाने के लिए कई घंटों तक रगड़ा जाता है, अब इसको एक मैगजीन के जरिए राष्ट्रीय स्तर पर भी पहचान मिल गई है।

कुंदन स्वीट के संचालक शम्मी देवड़ा ने बताते हैं कि कि दिल्ली में सभी राज्यों से मिठाई मंगवाई गई थी। इसमें बुरहानपुर से प्रसिद्ध दराबा मिठाई को शामिल किया हैं। दराबा एक ऐसी मिठाई है, जिसको बनाने में 36 से 48 घंटे लगते हैं, यह 3 महीने तक खराब नहीं होती है, जितना बासी होती हैं उतना उसका स्वाद बढ़ता है। दराबा भगवान बालाजी का प्रिय प्रसाद है, बालाजी महाराज को इसका भोग लगाया जाता हैं।

बालाजी मेले में हजारों क्विंटल की खपत होती है, इसको खाने से शारिरिक कमजोरी दूर होती हैं। इसके सेवन के अनगिनत फायदे हैं, हमारे स्वीटस से रोजाना 30 किलो की खपत हो रही है, इसके अलावा देशभर से आर्डर आते है, इस लोग बेहद पसंद करते है।

 

दराबा मिठाई को बनाने के लिए शुद्ध देसी घी, शक्कर, रवे का उपयोग किया जाता है। इसको बड़ी कढ़ाई में एक दिन सेका जाता है, फिर रगड़कर मुलायम बनाते है। 48 घंटे होने के बाद यह तैयार होता है। इसको बनाने में सबसे अधिक मेहनत लगती है, यह स्वास्थ्य के लिए लाभदायक साबित होता है। ज्यादातर मुसाफिर इसको सफर में सबसे अधिक खाना पसंद करते हैं, ताकि उनको पूरे सफर के दौरान कमजोरी महसूस नहीं हो सके।

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