एक बहुत पुराने बोल हैं की-” कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती, और लहरों से डर कर कभी नौका पार नहीं होती ”
हम सिर्फ इस बोल को बोलते हैं लेकिन किरण बेदी ने इसे बोल को साक्षात्कार रूप दिया है किरण बेदी ने अपनी सामान्य से जिंदगी को असामान्य बनाकर जो पूरे भारत के सामने प्रस्तुत किया और भारत की पहली आईपीएस अधिकारी बनकर दिखाया जहां महिलाओं को घर से बाहर निकालने की आजादी नहीं थी उस युग में उन्होंने अपनी शक्ति और सूझबूझ के बल पर जो पहली आईपीएस बनने का कारनामा करके दिखाया जिस समय पर महिलाओं को कमजोर और रो असहाय समझा जाता है उसे समय पर किरण बेदी ने अपनी साहस और अपनी शक्ति का प्रदर्शन पूरे विश्व के सामने प्रस्तुत किया आज से के समय पर हमें कई महिला आईपीएस अधिकारी इस अधिकारी यहां तक की आर्मी में भी मिल जाएंगे लेकिन इन सब की शुरुआत कहीं ना कहीं किरण बेदी के द्वारा ही की गई थी
किरण बेदी का जन्म 9 जून, 1949 को अमृतसर पंजाब में हुआ था। वे प्रकाश पेशावरिया और प्रेम पेशावरिया की चार बेटियों में से दूसरे नंबर की हैं। उनकी तीन बहनें हैं जिनमें से शशि कनाडा में रहती हैं और एक कलाकार हैं। दूसरी बहन रीता क्लीनिकल साइकोलॉजिस्ट और लेखक है जबकि तीसरी बहन अनु एक वकील हैं। सैक्रेड हार्ट कन्वेंट स्कूल, अमृतसर से शिक्षा की शुरुआत की थी। बाद में वे छात्र जीवन में टेनिस खेलती रहीं और उन्होंने टेनिस में कई खिताब जीते। वे ऑल-एशियन टेनिस चैम्पियनशिप और एशियन लेडीज टाइटल विजेता रह चुकी हैं।
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वे इंग्लिश में बी.ए. (आनर्स) होने के साथ-साथ पॉलिटिकल साइंस में एम.ए. और कानून की स्नातक हैं। साथ ही, वे आई.आई.टी. दिल्ली से डॉक्ट्रेट भी ले चुकी हैं। 1972 में उन्होंने एक कारोबारी बृज बेदी से विवाह किया था। तीन वर्ष बाद उनकी बेटी साइना पैदा हुई थी। वे दो साल के लिए खालसा कॉलेज फॉर वीमेन, अमृतसर में एक लेक्चरर रहीं और बाद में जुलाई 1972 में भारतीय पुलिस सेवा में भर्ती हुई थीं
बेदी एक सामाजिक कार्यकर्ता और रिटायर्ड आईपीएस हैं जिन्होंने 1972 में पुलिस सेवा में प्रवेश के बाद 2007 में सेवा से रिटायमेंट ले लिया था। वे लोकप्रिय टीवी सीरिज ‘आप की कचहरी’ की होस्ट भी रह चुकी हैं। उन्होंने दो गैर-सरकारी संगठन भी बनाए हैं जिनमें से एक को नवज्योति इंडिया फाउंडेशन और दूसरे को इंडिया विजन फाउंडेशन के नाम से जाना किरण बेदी एक जीवाणु सामान्य से असामान्य बनने तक की कहानी एक संघर्ष पूर्ण रही है इन पर आजमाई गई फिल्म में तो उनकी जिंदगी से जुड़ी हुई कुछ लड़कियों को ही साक्षात्कार रूप दिया है किरण बेदी उसे युग में पुरुषों के बीच कर रहकर कंपटीशन किया जिस युग में महिलाएं और पर से पुरुष दोनों एक लाइन पर खड़े नहीं हो सकते थे अपने साहस और अपने अदम्य शक्ति का प्रदर्शन करते हुए उन्होंने पहली महिला आईपीएस अधिकारी बनने का श्रेष्ठ अपने नाम किया