खनिज मद में भी हिमांशू ने लगाया चूना

खनिज मद से 10 करोड़ गायब, जानकारी देने विभाग की फूल रही सांस-तत्कालीन कलेक्टर रवीन्द्र चौधरी के कार्यकाल में तैयार की गई थी सूची

मनरेगा के बाद अब खनिज मद में भी करोड़ों का घोटाला सामने आया है। जिले में विभिन्न निर्माण कार्यों के नाम पर खनिज मद से करीब 10 करोड़ रूपये आवंटित किये गए थे जिसमें 70 फीसदी कार्यों की जिम्मेदारी आरईएस विभाग को मिली थी जहां प्रभारी कार्यपालन यंत्री आरईएस हिमांशू तिवारी एवं उनकी टीम ने इस योजना को भी भ्रष्टाचार – की भेंट चढ़ा दी है। बताया गया है कि खनिज मद के तहत विभिन्न आवश्यक निर्माण कायों की स्वीकृती ● दी गई थी। जिले में भ्रष्टाचार की चरम सीमा पार हो गई है। आरईएस व जिला पंचायत के माध्यम से कराये जा रहे निर्माण कार्य सिर्फ कागजों में ही दिख रहे हैं। इन दिनों आरईएस विभाग के काम 50 फीसदी कमीशन में बाटे जा रहे है। यहां सीधी के अलावा रीवा के भी कुछ ठेकेदार जिम्मेदार अधिकारियों को मोटी रकम देकर मनचाहा काम कर रहे है। हैरानी की बात यह है कि मनरेगा योजना में जहां जमकर भ्रष्टाचार किया जा रहा है वहीं खनिज मद की करीब 10 करोड़ रूपये भी खुर्द-बुर्द कर दी गई है।

 

प्राप्त जानकारी के अनुसार खनिज मद के तहत सीधी जिले में 10 करोड़ के कार्य स्वीकृत किये गए थे जिसमें आँगनवाड़ी, पुल, पुलिया, बाउण्ड्रीबाल सहित विभिन्न कार्य शामिल है। इन निर्माण कार्यों में आधे से अधिक निर्माण एजेंसी की जिम्मेदारी आरईएस को मिली है जिसके द्वारा मनरेगा की तरह खनिज मद की राशि को भी मनचाहे तरीके से बांट कर हजम कर लिया गया है। यही वजह है कि करीब तीन वर्ष पूर्व शुरू किये गए निर्माण कार्यों की पूर्णतः आज तक नही हो पाई है। जिसकी जिम्मेदारी खनिज विभाग के पास है लेकिन उसने भी इस ओरकोई सार्थक कदम नहीं उठाया।

 

 

 

सूत्रों की माने तो करीब 10 करोड़ रूपये खनिज मद से जिले के विभिन्न विकास कार्यों के नाम पर आवंटित किये गए थे लेकिन उक्त राशि का कहां और किस प्रकार प्रयोग किया जा रहा है इसका देखरेख करने वाला कोई नहीं दिखाई पड़ रहा। यही वजह है कि आरईएस के जिम्मेदार अधिकारी इस योजना को भी कागजों में ही दफन कर राशि ऐंठने की फिराक में जुटे हुए है। कमीशन में बांट दिये काम / मिली जानकारी के अनुसार खनिज मद के तहत 10 करोड़ रूपये के विभिन्न निर्माण कार्य स्वीकृत किये गएथे जिन्हें 50 प्रतिशत कमीशन में बांट दिया गया था। अब स्थिती यह है कि कमीशन लेने के बाद न तो निर्माण एजेंसी इस ओर देख रही न ही राशि जारी करने वाला विभाग। हालात यह है कि 50 प्रतिशत कमीशन देकर काम लेने वाले ठेकेदार शेष राशि कागजों में ही अथवा पुराने कार्यों की फोटोग्राफी तैयार कराकर राशि हडप ली गई है। बता दें कि खनिज मद में हुए करोड़ों के घोटाले की जांच अगर निष्पक्षतापूर्ण कराई जाय तो एक दर्जन से अधिक अधिकारी-कर्मचारी कटघरे पर खड़े हो सकते है। हलाकि सीधी में जांच और कार्रवाई संभव नहीं दिखाई दे रही।

 

Rewa newsrewa news todaySidhi newssidhi news today
Comments (0)
Add Comment