वर्तमान समय में सरकारी दस्तावेजों की फेक रचना आम बात हो गई है लोग किसी भी गवर्नमेंट डॉक्यूमेंट की डुप्लीकेट कॉपी बना लेते हैं किसी से पैसे देकर या झूठी नियुक्ति भी करवा लेते ही है इस प्रकार के किसी फर्जी मार्कशीट बनवाना आम बात है लेकिन क्या आपको पता है कि भारतीय दंड संहिता मैं फर्जी डॉक्यूमेंट बनवाने वालों को क्या सजा दी जाती है यह एक गहन अपराध है इसके लिए आपको को भारी कीमत और सजा मिल सकती है
आईपीसी धारा 466
अगर किसी न्यायालय की रजिस्टर में बदलाव करेगा या कोई न्यायालय में झूठे साक्षी देगा या जाली दस्तावेज देगा
लोक रजिस्टर में बदलाव करेगा और यह सरकारी कर्मचारियों द्वारा बनाया गया प्रमाण पत्र जैसे जली विवाह यह पत्र अंक सूची आंकड़ा रिकॉर्ड आदि
किसी सरकारी कागजो मे फेरबदल में बदलाव करना या काटपीट करना इसमें दो धारा अंतर्गत आता है
क्या मिलती है सजा
अगर किसी भी व्यक्ति को ऊपर दिए गए किसी भी अपराध का दोषी पाया गया तो भारतीय दंड संहिता 1860 की धारा 466 के अंतर्गत दोषी पाया जाता है तो उसे 7 वर्ष की कारावास और जुर्माना भी लगाया जाएगा
अपराध नहीं है
अगर कोई लोक रजिस्टर में ऐसा नाम जुड़ा हो जो मृत्यु था या निवास छोड़ दिए हैं ऐसे नाम को लोक रजिस्टर से हटाना अपराध नहीं है
अगर कोई प्रमाण पत्र अंक सूची या किसी दस्तावेज़ में किसी प्रकार की त्रुटि है या उसकी नाम हटाना या बदलाव करना अपराध की श्रेणी में नहीं आता है