सुधरने के बजाय बिगड़ती जा रही मझौली की स्वास्थ्य व्यवस्था

नहीं पहुंच रहे कर्मचारी, गायब रहते हैं मुख्य खंड चिकित्सा अधिकारी

भले ही शासन द्वारा स्वास्थ्य व्यवस्था को सुदृढ़ बनाने के लिए लाखों करोड़ों खर्च किया जा रहा हो पर अधिकारियों की निष्क्रियता मनमानी वह लापरवाही शासन की मनसा पर पानी फेर रखी है। बात करें मझौली उपखंड की स्वास्थ्य व्यवस्था की तो विगत एक वर्ष पूर्व जब से मुख खंड चिकित्सा अधिकारी के रूप में पीएल सागर की पदस्थापन हुई है यहां की स्वास्थ्य व्यवस्था दिन प्रतिदिन बिगड़ती ही जा रही है। भले ही चाहे नेताओं एवं जनप्रतिनिधियों के समक्ष मुख्य खंड चिकित्सा अधिकारी अपने मुंह मियां मिट्टू करते रहे हैं पर जमीनी हकीकत कुछ और बयां कर रही है।

 

एक ओर जहां सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र मझौली की शासकीय स्वास्थ्य व्यवस्था दिन प्रतिदिन बिगाडती जा रही है, जिस कारण स्वास्थ्य केन्द्र मझौली में आने वाले मरीजो को झोला छाप डॉक्टरों का सहारा लेना पड़ रहा है। अस्पताल में लगे बोर्ड को माने तो ओपीडी की व्यवस्था सुबह 9 से 2 तक तथा शाम 5 बजे से 6 तक की गई है।

 

लेकिन अधिकारीयों कर्मचारीयों के समय से न पहुंचने से दूर दराज से आए मरीज को मुसीबत का सामना करना पड़ता है। देखा जाए तो एक डॉक्टर और कुछ गिने चुने कर्मचारियों के अलावा अधिकांश अधिकारी कर्मचारी समय से ना पहुंच कर 12 बजे तक पहुंच रहे हैं। जिसका खामियाजा मरीज के साथउपस्थित डॉक्टर एवं कर्मचारियों को भी भुगतना पड़ रहा है। जो वैकल्पिक व्यवस्था के तौर पर किसी कर्मचारी को पर्ची काटने के लिए बैठाना पड़ता है पर्ची काटने एवं डॉक्टर को दिखाने के उपरांत दवा प्राप्त करने के लिए भी मारीजों को घंटों इंतजार करना पड़ता है

 

मुख्य खण्ड चिकित्सा अधिकारी करे तो क्या करें वे खुद हमेशा अपने पदीय कार्यक्षेत्र से नदारद रहते है, अपुष्ट सूत्रों की मानें तो खबर यही भी हैं सीबीएमओ द्वारा कर्मचारियों अधिकारियों मासिक कमीशन भी फिक्स किया गया है जिसके कारण अधिकारी कर्मचारी मनमानी पूर्वक कार्य कर रहे हैं।

 

लोगो के शिकायत पर हमारे स्थानीय संवाददाता द्वारा समय-समय पर सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र मझौली पहुंच जायजा लिया गया तो एक जूनियर डॉक्टर एवं कुछ स्टाफ नर्स ही एवं एक दो छोटे कर्मचारी ही केन्द्र में उपस्थित मिले। जाँच कराये जाने एवं दवा प्राप्त करने के लिए इंतजार करते देखे गए। कुछ कमरो मे ताले भी लटके मिले। उपस्थित डॉक्टर से बात करने के दौरान वे खुद ही परेशान देखे गए। ऐसा लग रहा था कि वह चाह कर भी कुछ नहीं कर पा रहे।

 

स्वच्छता व व्यवस्था का दिखा टोटा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र मझौली के स्वच्छता व व्यवस्था को देखा जाए तो जोसामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र जो चमचमाता हुआ दिखाई पड़ता था। एक वर्ष से गंदगी से आच्छादित है एक ओर जहाँ चारो तरफ गुटखे, तम्बाकू के पीक के धब्बे देखखे गये वही सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र प्रांगण मवेशियों के गोबर से भरा पड़ा है। वही वर्षा भरा का पानी प्रांगण में 1 फीट तक हमेशा रहता है। ऑक्सीजन प्लांट के सामने जो पार्क निर्माण कराया गया था वह अब खरपतवारों से अच्छा अधिक है जिसके व्यवस्था में लगी जालिया मरीज के कपड़ों से भरी रहती है। जो मुख्य गेट के सामने ही है। जबकि देखा जाए तो मरीजों एवं पोषण पुनर्वास केंद्र में रहने वाले हितग्राहियों के लिए अस्पताल के बाउंड्री के भरती वार्ड एवं लाइव एवं डॉक्टर के बैठक रूम के बीचों-बीच एक बड़ा प्रांगण है।

 

जिसमें मरीजों के नहाने धोने एवं कपड़ा सुखाने की व्यवस्था की जा सकती है किंतु वह अति उपयोगी प्रांगण कवाड एवं

 

खरपतवारों से भरा पड़ा हुआ है। 108 एंबुलेंस की नहीं मिल

 

रही समुचित सेवाएं

 

देखा जाए तो वर्षों से घंटों इंतजार करने के बाद भी मरीजों को 108 एंबुलेंस की सुविधा उपलब्ध नहीं हो पा रही है जिसका ताजा मामला 15 अगस्त को देखने को मिला जहां एक्सीडेंट के लोगों को जिला अस्पताल के लिए रेफर किया गया जो 108 एंबुलेंस की सेवा को लेकर उपस्थित डॉक्टर एवं कर्मचारी उत्तेजित एवं आक्रोशित हो रहे थे। सैकड़ों लोग अस्पताल पहुंच चुके थे गनीमत रही की एसडीओपी टीआई सहित मझीली थाने का पुलिस बल पहुंचा हुआ था साथ ही सत्ताधारी पक्ष के जिला मंत्री एवं मंडल अध्यक्ष पहुंच गए थे। जो लोग भी व्यवस्था से अत्यधिक नाराज दिखे मुख्खंड चिकित्सा अधिकारी को फोन भी लगाए लेकिन उनका फोन रिसीव नहीं हुआ भले ही चाहे थाना, तहसील के अधिकारी कर्मचारी अस्पताल पहुंच लोगों को समझा शांत किए तथा थाना प्रभारी मझौली दीपक सिंह बघेल मरीज के स्थिति को देखते हुए वरिष्ठ कार्यालय के अधिकारियों से संपर्क कर हटिड बयल से घायलों को जिला अस्पताल पहुंचवाया जाकर लोगों को शांत कराया गया अन्यथा अप्रिय घटना की संभावना को नकारा नहीं जा सकता था दो- तीन घंटे रात्रि 9-10 बजे तक भले ही चाहे पुलिस प्रशासन, तहसील प्रशासन, भाजपा जिला मंत्री लवकेश सिंह, मंडल अध्यक्ष प्रवीण तिवारी तथा उपस्थित डॉक्टर एवं स्वास्थ्य कर्मचारी डटे रहकर शांत एवं अन्य व्यवस्था बनाने में जुटे रहे हैं लेकिन ना तो 108 एम्बुलेंस पहुंची ना ही मुख्य खंड चिकित्सा अधिकारी पीएल सागर यहां तक की नेताओं द्वारा फोन लगाए जाने पर फोन रिसीव करना उचित नहीं समझ गया। 108 एंबुलेंस की मनमानी के संबंध में लोगों की माने तो उनके ड्राइवर प्रबंधक के दूर दराज के अपने परिचितों एवं शुभचिंतकों से फोन कराकर वहीं जाकर मौज मस्ती करते हैं। जो विगत 17 अगस्त को मीडिया के नजर से भी नहीं बच पाए सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में मरीज के परिजन 108 एम्बुलेंस के इंतजार में बैठे थे 108 एम्बुलेंस ताला स्कूल के सामने खड़ी थी लेकिन सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र नहीं पहुंची परिजनों द्वारा निजी वाहन की व्यवस्था कर अपने मरीज को जिला अस्पताल ले जाया गया।

 

खरपतवारों के साए में कर दिया गया ध्वजारोहण

 

स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी कर्मचारी इतने निडर और लापरवाह हो चुके हैं कि वह मन मुताबिक जो जैसा भी हो कार्य कर रहे हैं। जिसका ताजा मामला हाल ही में स्वतंत्रता दिवस ध्वजारोहण कार्यक्रम में सामने आया है एक ओर जहां सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र सहित प्राथमिक एवं उप स्वास्थ्य केंद्र के अधिकारी कर्मचारी हर घर तिरंगा अभियान को ठेंगा दिखा रखा था। वही सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में गड्डों में भरे पानी, तथा फैली गंदगी के बीच ध्वजारोहण कर औपचारिकता पूर्ण की गई वहीं अधिकांश स्वास्थ्य अधिकांशा उप स्वास्थ्य केंद्र में खरपतवार एवं घास युक्त मैदान में टेढ़े-मेढ़े छोटे लगी बसों में औपचारिकता पूर्ण ध्वजारोहण किए जाने का फोटो वीडियो सोशल मीडिया में वायरल हुआ जिसकी तहकीकात मीडिया द्वारा किए जाने पर सही पाया गया। उप स्वास्थ्य केंद्र के कर्मचारी अधिकारी मनमानी पूर्ण रवैया से काम कर रहे हैं अधिकांश केन्द्रों में हमेशा ताले लटके रहते हैं। यहाँ तक कि जिला प्रशा सन के आदेशो को भी दरकिनार करने में कोई कसर नहीं छोडते जिसका खामियाजा मरीजो को भुगतना पडता है। सूत्रों की माने तो उप स्वास्थ्य केंद्र में पदस्थ सीएचओ जो बाहर के पदस्थ हैं वेतन की रस कमीशन के रूप में अदा कर केंद्र में ताला लटका नदारत

 

रहते हैं। हालाकि मामला जो कुछ भी हो पर दिन प्रतिदिन विगड़ी स्वास्थ्य व्यवस्था लोगों की परेशानी और चिंता बढ़ा रखी है। यदि समय रहते ध्यान नहीं दिया जाता तो एक न एक दिन जनप्रतिनिधियों एवं अधिकारियों के लिए भारी समस्या बन सकती है।

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