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जिले में नदी-तालाब सूखने से गिरा भू-जल स्तर, जिले की नदियों को पुर्नजीवित करने की है जरूरत 

ऐसे में नदी, तालाबों के सूखने का क्रम भी अनबरत रूप से चल रहा है।

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जिले में नदी-तालाब सूखने से गिरा भू-जल स्तर 

जिले की नदियों को पुर्नजीवित करने की है जरूरत 

 

जिले में गर्मी के दिनों में नदी, तालाबों के सूखने से भू-जल स्तर भी लगातार नीचे खिसक रहा है। नदी, तालाबों के पटने के कारण पानी का स्तर उनमें काफी कम रहता है। गर्मी शुरू होने के बाद से ही पानी के सूखने का सिलसिला शुरू हो जाता है। गर्मी के दिनों में जब सूर्य देव की किरणे आग उगल रही हैं, ऐसे में नदी, तालाबों के सूखने का क्रम भी अनबरत रूप से चल रहा है।

बरसात के दिनों में जो नदी तालाब पानी से लबालब भर जाते हैं वह गर्मी के दिनों में पूरी तरह से सूखना शुरू हो जाते हैं। ऐसे में नदी तालाबों के गहरीकरण की सबसे ज्यादा आवश्यकता है जिससे उनमें पानी का भराव काफी रहे। गर्मी के दिनों में यदि तालाब एवं नदियों का गहरीकरण है तो निश्चित ही उसमें पानी की मात्रा भले ही कम हो जाय लेकिन सूख नहीं सकते।

जानकारों का कहना है कि वर्तमान में नदी, तालाबों के गहरीकरण को मुख्य प्राथमिकता मिलनी चाहिए। मनरेगा के तहत तालाबों का गहरीकरण कराने की कार्ययोजना इस वर्ष लोकसभा चुनाव के चलते नहीं हो पा रही है। वहीं जिले की नदियों को पुर्नजीवित करने की जरूरत है। नदियों में साफ-सफाई का अभियान शुरू किया जाना चाहिए। जिससे उनमें गहरीकरण होने से जल भराव ज्यादा हो सके।

गर्मी के दिनों में नदियों के सफाई का अभियान प्राथमिकता के साथ चलाना चाहिए। जिसमें आम लोगों की भी सहभागिता होनी चाहिए। संयुक्त प्रयासों से ही नदियों को पुर्नजीवित किया जा सकता है। सीधी जिले की स्थिति यह है कि नदी, नालो की साफ-सफाई का कार्य कभी न होने से वह पटते जा रहे हैं। अधिकांश नदी, नालों में गहरीकरण कम हो जाने के कारण पानी भी गर्मी के आरंभ होने के कुछ समय बाद ही सूखना शुरू हो जाता है।

नदियों के गहरीकरण से वह फिर से पुर्नजीवित होंगी और बरसात के दिनों में बारिश होने से वह पानी से लबालब भर जाएंगे। साथ ही नदियों में गंदगी एवं कचरा न फेका जाय इसको लेकर भी सभी संभावित प्रयास होने चाहिए। नदी, नालों के पटने का मुख्य कारण उनमें फेंके जाने वाले कचरा प्रमुख हैं।

वहीं बरसात में जल भराव ज्यादा होने के कारण मिट्टी भी काफी मात्रा में कटकर नदी, नालों में पहुंच जाती है और गहरीकरण को कम करती हैं। सीधी जिले में स्वयंसेवी संस्थाएं, संगठनों एवं प्रशासनिक अमले द्वारा पूर्व मेंं नदी, नालों की सफाई के लिए अभियान अलग-अलग जगहों में चलाया जाता था। जिसके सार्थक नतीजे भी सामने आ रहे थे। कुछ वर्षों से नदियों के साफ-सफाई का अभियान पूरी तरह से बंद हो चुका है।

यह अवश्य है कि प्रशासन की ओर से जलाभिषेक के कार्यों को गर्मी के दिनों में मुख्य प्राथमिकता दी जाती रही है। लेकिन इस वर्ष लोकसभा चुनाव के चलते यह काम भी नहीं हो पा रहा है। गर्मी के दिनों में प्रमुख रूप से तालाबों के जीर्णोद्धार, साफ-सफाई एवं गहरीकरण का कार्य विशेष तौर पर होना चाहिए।

वहीं जानकारों का कहना है कि सीधी जिले में जल संरक्षण के लिए प्रशासनिक स्तर पर करीब 3 दशक से कार्य किए जा रहे हैं। जिसके सार्थक नतीजे नहीं आ रहे हैं। कारण प्रशासनिक अमले द्वारा जल संरक्षण की दिशा में मौके पर सही तरीके से काम नहीं किया जाता। ग्राम पंचायतों को जब से जिम्मेदारी दी गई है उसमें भी कागजी कार्य ही कराने की होड़ मची रहती है।

गर्मी के दिनों में मनरेगा के तहत होने वाले कार्यों में श्रमिकों को रोजगार भी प्राथमिकता से देना चाहिए लेकिन उसमें मशीनों का उपयोग सबसे ज्यादा करने का प्रचलन सीधी जिले में बढ़ा है। हैरत की बात तो यह है कि शिकायत के बाद भी इस मामले में सार्थक कार्यवाही नहीं की जाती।

भीषण गर्मी में सूखने लगे जल स्त्रोत 

भीषण गर्मी इस वर्ष पडऩे की जानकारी मौसम विभाग द्वारा दी जा रही है। इसका असर भी तेजी से सीधी जिले में दिखने लगा है। भू-जल स्तर काफी तेजी के साथ नीचे खिसक रहे हैं। 30-35 मीटर भू-जल स्तर नीचे खिसक जाने के कारण कइ्र्र स्थानों में पानी की किल्लत शुरू हो गई है। ट्यूबवेल एवं शहरी क्षेत्र के वोरों से पानी नीचे जा रहा है। कई ट्यूबवेल एवं वोर जवाब दे चुके हैं।

यदि इसी तरह के हालात आगे भी बने रहे तो इस वर्ष जल संकट की स्थिति गंभीर हो सकती है। स्थिति यह है कि जिनके पास अभी पानी की समस्या नहीं है उनके द्वारा पानी का अपव्यय तो काफी तेजी के साथ किया जा रहा है। जिले के 60 प्रतिशत से ज्यादा तालाब एवं अन्य जल संरचनाओं में पानी अब काफी कम बचा है। 40 प्रतिशत ऐसे भी छोटे तालाब हैं जिनमें पानी अब नहीं है।

ग्राम पंचायतों की ओर से यह प्रयास नहीं किया जा रहा है कि जिन तालाबों में पानी अभी मौजूद है उसका अपव्यय न किया जाए। जिला प्रशासन द्वारा सीधी जिले को जल अभाव ग्रस्त क्षेत्र घोषित किया जा चुका है। ऐसे में सभी की यह सामूहिक जिम्मेदारी बनती है कि वह पानी का संरक्षण स्वयं करें और अन्य लोगों को भी प्रेरित करें। भीषण गर्मी में निरीह जीव-जंतुओं को भी पानी मिल सके इसके प्रबंध भी सभी को मिलकर करना चाहिए।

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