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Corruption in sidhi : चोभरा के सरपंच-सचिव से होगी 7 लाख की वसूली 

जिला सीईओ ने जारी की राशि वसूली की नोटिस 

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चोभरा के सरपंच-सचिव से होगी 7 लाख की वसूली

– जिला सीईओ ने जारी की राशि वसूली की नोटिस

 

जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी राहुल धोटे द्वारा जनपद पंचायत रामपुर नैकिन के ग्राम पंचायत चोभरा दिग्विजय ङ्क्षसह के सरपंच.सचिव से 7 लाख रुपए की वसूली के लिए नोटिस जारी की है। पत्र क्रमांक/4874 दिनांक 26 दिसंबर 2023 में तत्कालीन सरपंच रामस्वरूप यादव एवं सचिव नीलेश पाण्डेय से उक्त राशि की वसूली होगी। पत्र में कहा गया है कि मुख्य कार्यपालन अधिकारी जनपद पंचायत रामपुर नैकिन द्वारा जारी पत्र क्रमांक 1612, दिनांक 26 जुलाई 2023 द्वारा जांच प्रतिवेदन विंदु क्रमांक 2,3,4,7 एवं 9 के अनुसार कहा गया था कि ग्राम पंचायत चोभरा दिग्विजय सिंह में 7 लाख 8223 रुपए का दुरुपयोग किया गया है।

शासकीय राशि की अनियमितता एवं दुरुपयोग में सरपंच रामस्वरूप यादव व सचिव नीलेश पाण्डेय द्वारा की गई है। इस वजह से उक्त शासकीय राशि की वसूली उक्त दोनो लोगों से ही होनी चाहिए। इसके लिए जनपद पंचायत रामपुर नैकिन के मुख्य कार्यपालन अधिकारी द्वारा राशि वसूली का प्रस्ताव जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी के पास भेजा गया था।

पत्र में कहा गया है कि सरपंच रामस्वरूप यादव से 3 लाख 54 हजार 111 रुपए एवं सचिव नीलेश पाण्डेय से तीन लाख 54 हजार 111 रुपए की वसूली की जाए। जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी द्वारा तत्कालीन सरपंच एवं सचिव को नोटिस जारी कर सुनवाई के लिए 5 जनवरी 2024 को दोपहर 3 बजे जिला पंचायत सीधी कार्यालय में उपस्थित होने के निर्देश दिए गए हैं।

यदि संबंधित व्यक्ति निर्धारित तिथि एवं समय पर उपस्थित नहीं हुए तो उनके विरुद्ध मप्र पंचायत राज एवं ग्राम स्वराज अधिनियम 1993 की धारा 89 का प्रकरण पंजीबद्ध किया जाकर वसूली की कार्रवाई सुनिश्चित की जावेगी। उक्त नोटिस जारी होने के बाद से भ्रष्टाचार में लिप्त अन्य सरपंच-सचिवों में भी हडक़ंप मच गया है।

पंचायतों में बढ़ रहे गबन के मामले

ग्राम पंचायतों को विकास कार्यों के लिए हर वर्ष लाखों का बजट शासन की ओर से उपलब्ध कराया जाता है। जिससे वह अपने पंचायत क्षेत्र में विकास कायों को जरूरत के अनुसार मूर्त रूप दें। देखा यह जा रहा है कि अधिकांश ग्राम पंचायतों में कागजों में ही विकास कार्य करानें की होड़ मची हुई है। यदि मौके पर ग्राम पंचायतों में हुए विकास एवं निर्माण कार्यों की जांच की जाए तो मालूम पड़ेगा कि अधिकांश का वजूद ही नहीं हैं। जिम्मेदार अधिकारी कार्यालय के अंदर बैठकर ही ग्राम पंचायतों में होने वाले विकास एवं निर्माण कार्यों का फर्जी मूल्यांकन एवं सत्यापन करने में मशगूल हैं।

उनके इन कृत्यों के चलते ही ग्राम पंचायतों में व्यवस्थाएं पटरी से उतरी हुई हैं। अधिकांश ग्राम पंचायतें ऐसी हैं जिनके द्वारा मिलने वाले शासकीय बजट का गबन करने में कई जिम्मेदार लगे हुए हैं। हैरत की बात तो यह है कि कुछ ग्राम पंचायतों में भ्रष्टचार एवं गबन के मामलों को लेकर स्थानीय ग्रामीणों द्वारा अधिकारियों से शिकायत भी की जाती है। इसके लिए कई साक्ष्य भी दिए जाते हैं। फिर भी जिम्मेदार अधिकारी ग्रामीणों से मिलने वाली अधिकांश शिकायतों को फाईलों में कैद कर देते हैं।

मौके पर भ्रष्टाचार की जांच के लिए न तो कोई टीम जाती है और न ही ग्रामीणों के समक्ष सार्वजनिक रूप से जांच करने की जरूरत समझी जाती है। इसी वजह से ग्राम पंचायतो में सरपंच-सचिव एवं रोजगार सहायकों में सरकारी राशि का बंदरबाट करने के लिए होड़ मची हुई है। यह अवश्य है कि शासकीय राशि खर्च करने के लिए तरह.तरह के फर्जी रिकार्ड संधारित किए जाते हैं और इसी के आधार पर विकास भी हो रहे हैं।

 

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