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बारिश का एक झटका भी नहीं सह पाई नव निर्मित पुल

15 लाख रुपए की लागत से हाल ही में कराया गया था निर्माण

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संवाददाता अविनय शुक्ला

 

बारिश के आने के बाद लोगों के घर यह जाते हैं और लोगों के घरों तथा खलिहान में पानी भर जाता है। शासन की योजना पर पतीला लगाने में भी कई लोग पीछे नहीं होते, यदि लाखों रुपए की लागत से निर्मित पुल अगर एक ही बरसात में बह जाए तो यह बात हजम नहीं होती। पुल के निर्माण कार्य में काफी मात्रा में हीलाहवाली की जाती है। बालू के स्थान पर राखड़ का प्रयाग करना एवं कम सीमेंट का प्रयोग करना प्रमुख समस्या है। हालांकि यह कोई पहला मामला नहीं है आदिवासी अंचल कुसमी में कई पुल पहले ही बारिश में वह गए हैं। एक नहीं दो नहीं लगभग इसको मिलकर एक दर्जन पुल बह चुके हैं। लेकिन जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्यवाही के नाम पर अभी भी सवालिया निशान खड़ा हुआ है।

 

दरअसल यह पूरा मामला सीधी जिले के कुसमी जनपद पंचायत के ग्राम पंचायत पोडी के चौकी पोड़ी के पीछे स्थित चनवरिया टोला के स्टाए डैम के बगल में 15 लाख रुपए का एक पुल रपटा का है। जो महात्मा गांधी नरेगा योजना से ग्राम पंचायत पोडी के द्वारा बनाया गया था वह बह गया है। यानी 15 लाख रुपए पहली बारिश में बह गई है।

 

बिना जरुरत बनाई गई थी पुल

 

बताया जा रहा है की जिस जगह में यह पुल बनाया गया था वहां पर किसी तरह की सड़क नहीं है। इसके बाद भी वहां पर रपटा गुणवत्ता बिहीन बनाया गया था। जिसकी स्वीकृत 2022 और 23 में होना बताया गया है। लेकिन बारिश के पूर्व 2023 में ही उसका निर्माण कार्य किया गया। बता दें की घटिया निर्माण कार्य किया गया था और इसी तरह के कार्य पोड़ी क्षेत्र में और भी हुये है जिसकी परत दर परत एक. एक कर खुल रहीं हैं। इन सब में एक बात तो कामन है कि लगातार पुल बह रहे हैं लेकिन अधिकारी और कर्मचारी जिम्मेदारों पर कार्यवाही नहीं कर रहे हैं। यहां आदिवासी अंचल होने की वजह से खूब भ्रष्टाचार हो रहा है और इसकी जानकारी जनपद पंचायत सीईओ से लेकर एसडीएम और जिला पंचायत सीईओ और कलेक्टर को भी है लेकिन यहां ऐसा कोई भी अधिकारी नजर नहीं आ रहा है जो इन पर कार्यवाही कर सके। कई पुल टूट कर बिखर गई है तो कहीं पुल टूट कर बह गई है लेकिन उसके बाद भी शासन का करोड़ों रुपए का पैसा बर्बाद हो रहा है लेकिन जिम्मेदार अभी भी एक्शन लेने से कतरा रहे हैं।

 

 

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