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किसानों के लिए कागजों में चल सैकड़ो योजनाएं लेकिन किसानों तक नहीं पहुंच रही जानकारी

कागजी खानापूर्ति में जुटा रहता है कृषि विभाग का अमला

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किसानों के नाम पर सैकड़ों योजनाए चलाई जा रही हैं, लेकिन किसान इन योजनाओं से कम ही लाभ ले पा रहे हैं। योजनाएं कागजों तक सिमट कर रह गई। बात चाहे फसल बीमा योजना की हो, किसान सम्मान निधि की हो, कृषि अनुदान राशि की हो, कृषि यंत्र सब्सिडी की हो, ऐसे कई योजनाएं हैं जिनका किसानों को लाभ नहीं मिल पा रहा है। किसान विभाग के चक्कर काट रहे हैं लेकिन उन्हें लाभ तो दूर योजनाओं की जानकारी तक नहीं मिल पा रही है। एक ओर तो सरकार खेती के लिए कई तरह के नई-नई तकनीकों एवं कृषि आधारित कई योजनाओं को लागू कर किसानों की आय को दोगुना करने का संभव प्रयास कर रही है। वहीं दूसरी ओर प्रदेश के अंतिम छोर पर बसे किसान सरकारीयोजनाओं की जानकारी के अभाव में योजनाओं का पूर्ण रूप से लाभ नहीं ले पा रहे हैं। बता दें कि कृषि ही क्षेत्र के

 

लोगों की आजीविका का एकमात्र साधन है। क्षेत्र के निवासी अपनी मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए मुख्यतः कृषि पर ही निर्भर है, लेकिन रेतीली मिट्टी, गिरते भू-जल स्तर व भूमि की कम होती उपजाऊ शक्ति के साथ साथ सरकार द्वारा चलाई जा रही योजना की जानकारी के अभाव के कारण क्षेत्र के किसानों के लिएकृषि घाटे का सौदा बन कर रह गई है। यही कारण है कि किसान अब कृषिकार्य से दूर भाग रहे हैं। सरकार चाहती है किसान खेती कर लाभ कमाए, जबकि सरकार के पास ही किसानों तक सही जानकारी पहुंचाने के लिए पर्याप्तअमला नहीं है। इस कारण किसानों को फसल पैदावार के समय सही जानकारी नहीं मिलने से किसानों को काफी नुकसान उठाना पड़ता है। यहां बता दें आज भी किसान परंपरागत खेती को अपना रहे हैं, जबकि सरकार किसानों को आधुनिक खेती करने पर दे रही है। किसान यह खेती कैसे करें, जब उन्हें उन्नत खेती की जानकारी ही विभाग से समय पर नहीं मिल पा रही।अमले की कमी से किसान हो रहे परेशानः अमले की कमी के चलते कृषि विभाग में सरकार की मुख्य योजनाओं का प्रचार-प्रसार लक्ष्यों की पूर्ति, बीज, खाद, दवा का वितरण, मिनी किट एवं डिमास्ट्रेशन, गोबर गैस, बायो गैस, सोलर ऊर्जा के फार्म भरवाना, कृषि यंत्र, ड्रिप्स सिंचाई, स्प्रिंकलर, पाइप सेट, पाइप लाइन के वितरण के अतिरिक्त मिट्टी परीक्षण के नमूने लेने जैसे महत्वपूर्ण कार्य प्रभावित हो रहे हैं।

 

मिट्टी परीक्षण प्रयोगशाला बंद

 

मिट्टी का परीक्षण करने मुख्यालय सहित ब्लाक स्तरो में भी अधिकारियों की नियुक्ती की गई है लेकिन यहां सिर्फ कागजी खानापूर्ति करने तक अधिकारी सीमित देखे जा रहे है। जिससे किसानों को यह पता नहीं चल पाता कि उनकी जमीन में किस चीज की कमी है। जिससे उनको मेहनत से कम उपज मिल पा रही है। मिट्टी परीक्षण प्रयोगशाला में बैठाये गए अधिकारी व कर्मचारी सिर्फ अपनी तनख्वाह से मतलब है। जब शासन द्वारा लक्ष्य दे दिया जाता है तो इन कर्मचारियों के द्वारा बैठे-बैठे मिट्टी का परीक्षण कर दिया जा रहा हैं।

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