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स्कूलों में शिकायत पेटी तो लगी है पर नहीं हो रहा उपयोग

शिकायत पेटी में छात्र-छात्राएं नहीं डाल रहे शिकायत, सीधे प्राचार्य से की जाती है शिकायत

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जिले की शासकीय व अनुदान प्राप्त स्कूलों में विद्यार्थियों की समस्या और सुझाव के लिए प्राचार्य कक्ष के बाहर शिकायत एवं सुझाव पेटी महज औपचारिकता सावित हो रही है। जिला शिक्षा अधिकारी का दावा है कि जिले की समस्त हाई स्कूल एवं हायर सेकंडरी स्कूलों में प्राचार्य कक्ष के बाहर शिकायत एवं सुझाव पेटी लगाए जाने के निर्देश दिये गए हैं। वर्तमान स्थिति क्या है इसका फॉलोअप लेकर ही बताया जा सकता है। वस्तु स्थिति का पता लगाने शहर के शासकीय उत्कृष्ट विद्यालय सीधी क्रमांक 1 एवं शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय सीधी क्रमांक-2 का भ्रमण कर स्थिति का जायजा लिया गया तो दोनो ही स्कूलों में प्राचार्य कक्ष के बाहर शिकायत पेटी लगी मिली। उत्कृष्ट विद्यालय सीधी क्रमांक-१ के प्राचार्य शंभूनाथ त्रिपाठी ने बताया कि प्रयास यह रहता है कि हर सप्ताह शिकायत पेटी खोली जाकर शिकायतें एवं सुझाव देखे जाएं, लेकिन शिकायत व सुझाव पेटी का छात्र-छात्राएं उपयोग नहीं कर रहे हैं। इसमें शिकायतें एवं सुझाव न के बराबर आते हैं। प्राचार्य ने बताया कि विद्यार्थी अपनी समस्या लेकर सीधे हमसे मिलते है, और उनकी समस्या का समाधान भी कर दिया जाता है, इसलिए उन्हें शिकायत पेटी में शिकायत डालने की आवश्यकता ही नहीं पड़ती।

लेकिन उत्कृष्ट विद्यालय के प्रबंधन की निष्क्रियता के कारण छात्र-छात्राओं में प्रतिदिन मारपीट की घटनाएं होरही है, वहीं शिक्षा की मंदिर में ज्ञान लेने आने वाले छात्र-छात्राएं थानो की सीढ़ियां चढ़ रहे हैं। कमोवेश यही स्थिति शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय सीधी क्रमांक-2 की भी मिली। यहां के शिकायत व सुझाव पेटी का उपयोग नहीं हो रहा है। प्राचार्य ने बताया कि पहले हर सप्ताह शिकायत पेटी खुलवाई जाती थी, लेकिन वह खाली मिलती थी इसलिए अब माह में एक बार खुलवाया जा रहा है। फिर भी वही स्थिति है। बच्चे अपनी समस्या लेकर सीधे ही हमसे मिल लेते हैं, इसलिए उन्हें शिकायत पेटी में शिकायत डालने की आवश्यकता ही नहीं पड़ती।

 

ये आए थे निर्देश

 

हाल ही में केरल हाईकोर्ट ने अपने राज्य के शिक्षा विभाग को निर्देश जारी किए कि वे स्कूलों में विद्यार्थियों की समस्या और सुझाव के लिए शिकायत एवं सुझाव पेटी (ड्रॉप बॉक्स) की व्यवस्था करें। अगर मध्य प्रदेश की बात करें तो राज्य शिक्षा केंद्र और लोक शिक्षण संचालनालयका दावा है कि स्कूलों को इस संबंध में समय- समय पर निर्देश जारी किए जाते रहे हैं।

 

अभी सिस्टम ये है कि

 

शासकीय और अनुदान प्राप्त स्कूलों में प्राचार्य कक्ष के बाहर ड्रॉप बॉक्स लगे हैं। हर सप्ताह व पखवाड़े में छात्र-छात्राओं से मिली शिकायतों-सुझावों को देखा और जांचा जाता है। प्राचार्य व उनके निर्देशन में नियुक्त टीम जिस विद्यार्थी ने अपना नाम-पहचान दी है तो उससे मिलकर और अगर नहीं दी है तो भी उनकी समस्याओं का निराकरण किया जाता है।

 

लेकिन ये पूरा सच नहीं है

 

इन बिंदुओं के आधार पर जमीनी पड़ताल की गई तो चौकान्ने वाले तथ्य सामने आए हैं। कई विद्यालयो मे तो शिकायत पेटी नहीं लगी हुई है। विद्यालयो के कबाड़ मे फेकी नजर आई है शिकायत पेटी, वहीं कुछ विद्यालयों की पेटियो मे तो दीमक तक लग गए हैं।

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